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हम भारतीय हैं!" – ओडिशा में दस्तावेज़ दिखाने के बावजूद 444 बंगाली मज़दूर हिरासत में

  • Writer: Apnasamachar bureau
    Apnasamachar bureau
  • Jul 11
  • 2 min read

ओडिशा में बंगाली मजदूरों की गिरफ्तारी पर राजनीतिक हंगामा

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**"क्या होगा अगर बंगाली सैलानी ओडिशा जाना बंद कर दें?"** – यह सवाल टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ओडिशा पुलिस द्वारा 444 पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को 'बांग्लादेशी नागरिक' बताकर हिरासत में लेने के बाद उठाया है।


### क्या हुआ?

झारसुगुड़ा जिले में सोमवार को हुई छापेमारी में इन मजदूरों को उनकी बस्तियों से उठाया गया। ये सभी मजदूर नादिया, मुर्शिदाबाद, मालदा, पूर्वी मेदिनीपुर, बीरभूम, पूर्वी बर्धमान और दक्षिण 24 परगना जैसे बंगाल के जिलों से ताल्लुक रखते हैं। ओडिशा सरकार ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे केंद्र बनाएं जहां नागरिकता के सबूत न दे पाने वालों को रखकर उनकी पहचान की जा सके।


### महुआ मोइत्रा का गुस्सा

सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश में महुआ मोइत्रा ने कहा:

> "मेरे नादिया लोकसभा क्षेत्र के मिर्जापुर गांव के 23 मजदूर झारसुगुड़ा में ओरिएंट थाने में गैरकानूनी तरीके से रोके गए हैं। इन सभी के पास वैध आधार कार्ड और वोटर आईडी हैं। पर सिर्फ 'कागजात जांचने' के बहाने इन्हें पकड़ा गया। अगर तुरंत रिहाई नहीं हुई, तो हम 23 हैबियस कॉर्पस याचिकाएं दायर करेंगे और मैं खुद वहां पहुंचूंगी।"


उन्होंने ओडिशा सरकार पर निशाना साधते हुए आगाह किया:

> "ओडिशा का 50% टूरिज्म राजस्व बंगाली सैलानियों से आता है। वे ही आपके होटलों में ठहरते हैं, आपके धार्मिक स्थलों पर जाते हैं। क्या होगा अगर बंगाली सैलानी ओडिशा जाना बंद कर दें?"


### पुलिस का पक्ष

उत्तरी रेंज के आईजी हिमांशु लाल ने *द इंडियन एक्सप्रेस* को बताया:

> "इन लोगों के पास रहने या नागरिकता साबित करने वाले वैध दस्तावेज नहीं थे। इसीलिए सत्यापन जरूरी है। हिरासत में लोगों को खाना, पानी और मेडिकल सुविधा दी जा रही है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भारतीय नागरिक के साथ गलत व्यवहार न हो।"


### परिवारों की बेचैनी

झारसुगुड़ा में काम करने वाले कबीर शेख (प्लास्टिक सामान बेचने वाले) ने फोन पर बताया:

> "पुलिस ने हमारी बस्ती से कई मजदूरों को उठा लिया। दस्तावेज दिखाने के बावजूद उन्हें डिटेंशन सेंटर ले जाया गया। मैं उस वक्त बाहर था, शायद इसलिए बच गया।"


बीरभूम के कुतुलपुर गांव के हाजिमुद्दीन शेख ने कहा:

> "मेरा बेटा हसीमुद्दीन और भतीजा निजामुद्दीन भी पकड़े गए हैं। वे सालों से बंगाल से बाहर काम कर रहे थे, ऐसा कभी नहीं हुआ।"


### बड़ा सवाल

यह घटना उस समय सामने आई है जब गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और मध्य प्रदेश में भी बंगाली बोलने वाले मजदूरों को इसी तरह हिरासत में लिया जा चुका है। पिछले महीने ही मुंबई में सात बंगालियों को 'बांग्लादेशी' बताकर बॉर्डर पर छोड़ दिया गया था, जिन्हें बाद में बंगाल सरकार के हस्तक्षेप से वापस लाया गया।


*(रविक भट्टाचार्य की रिपोर्ट के आधार पर)*

*(मूल खबर: द इंडियन एक्सप्रेस, 10 जुलाई 2025)*

 
 
 

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