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मालेगाँव बॉम्ब ब्लास्ट मे 17 साल बाद फैसला साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी आरोपी बरी।

  • Writer:  Bureau ApnaSamachar
    Bureau ApnaSamachar
  • Jul 31
  • 2 min read
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17 साल के इंतजार के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के कोई सबूत नहीं मिले। आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता। जज ने केस का इतिहास सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में RDX लगाया गया था।  कोर्ट ने कहा कि कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई है।

29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की। जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई। 2016 में एनआईए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया था। घटना के लगभग 17 साल बाद आए इस फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था।

आरोप था कि RDX लाया गया और उसका इस्तेमाल किया गया। लेकिन न तो पुरोहित के घर में RDX के भंडारण का कोई सबूत मिला और न ही यह साबित हुआ कि उन्होंने बम को असेंबल किया। जज ने यह भी कहा कि घटनास्थल से कोई खाली खोल बरामद नहीं हुए। जबकि फायरिंग की बात कही गई थी। न ही कोई फिंगरप्रिंट या DNA सैंपल लिया गया। मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और इंजन नंबर को लेकर भी संदेह बना रहा।

इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान आया है और उन्होंने खुद को बरी किए जाने को भगवा की जीत बताया है। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि अदालत का यह फैसला मेरी ही नहीं बल्कि भगवा की जीत है।

 
 
 

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