तमाम मुस्लिम देशों को ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति डा कैस सय्यद से सबक सीखना चाहिए। इस्राइल भी है खौफजदा।
- Bureau ApnaSamachar
- Oct 22
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हाल हि में हुए ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति चुनाव में आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव में जिस शख्स ने जीत हासिल की है। उनका नाम है डा कैस सय्यद। उनकी उम्र 61 साल है और वोह रिटायर्ड अध्यापक हैं। उनकी इस जीत में उनको 77% वोट मिले।
उनका ताल्लुक किसी पालिटिकल पार्टी से नहीं है। उन्होंने अपने पूरे कैंम्पैन में कुछ हजार रूपये हि खर्च किये।
जबकी उनके विरोधी नबील अल कर्मी जो कि अरबपति है और उन्होंने चुनाव में पैसा पानी की तरह बहाया। लेकिन चुनाव जीतने में नाकाम हो गये।
डा कैस के चुनाव की खास बात यह रही की टयुनिशिया का युवा उनका चुनाव प्रचार कर रहा था।
चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में डा कैस से जो सवाल पुछे गये और जो जवाब डा कैस ने दिये। उससे इस्राइल भी हैरत में है।
पहला सवाल:- इस्राइल से संबंध बहाल करने के बारे आप क्या सोचते हैं।
जवाब :- उनका कहना है जो भी इसके साथ ताल्लुक रखेगा वोह देश द्रोही होगा।
सवाल:- हमारे देश में एक यहुदी इबादत गाह है। बहुत से यहुदी इसे देखने के लिए आते हैं।
जवाब :- उन्होंने कहा हमारे देश में रहने वाले यहुदियो के अधिकारों की रक्षा करेंगे। लेकिन इस्राइली नागरिकों को कोई रियायत नहीं दी जायेगी।
सवाल :- क्या इस्राइली नागरिक टयुनिशिया नही आ सकते।
जवाब :- इस्राइली पासपोर्ट के साथ कोई भी टयुनिशिया में प्रवेश नहीं कर सकता।
सवाल :- क्या कोई इस्राइली टयुनिशिया नहीं आ सकता।
जवाब :- बिल्कुल नहीं। ऐसे देश के लोगों को अपने देश आने इजाजत नहीं दुंगा। जिसने मुसलमानों को उनकी सरजमीन से निकाल दिया।
आखिरी सवाल:- आखिर में आप क्या कहना चाहते हैं।
जवाब :- इस्राइल के साथ संबंध देश द्रोह है।
अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आज पुरी अरब दुनिया इस्राइल से ताल्लुक बनाने के लिए बैचेन है और वहीं एक छोटे से मुल्क का राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाला इंसान इस तरह का बयान दे रहा है। उसकी सबसे बड़ी वजह उसका इमानदार होना है।
दूसरे दोर के चुनाव प्रचार में उनके प्रतिद्वंद्वी नबील अल बरकी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। तो डा कैस ने अपना प्रचार रोक दिया और कहा कि अगर मेरा प्रतिद्वंद्वी चुनाव प्रचार नहीं कर सकता तो मुझे भी नहीं करना चाहिए। यह बेईमानी होगी। फिर मतदान से कुछ दिन पहले नबील को रिहा कर दिया गया और चुनाव प्रचार फिर से शुरू हो गया।
डा कैस की बीवी एक जज है। शपथ ग्रहण के फोरन बाद डा कैस ने अपनी बीवी को पांच साल के लिए छुट्टी पर भेज दिया वोह भी बिना तनख्वाह के। ताकि उनका कोई फैसला ऐसा हो जिससे यह लगे कि यह पक्षपात किया गया है।
इससे पहले के जो राष्ट्रपति रहे उनके सभी गैर इस्लामिक फैसलों को बैन कर दिया है और सारे फैसले कुरान से किये जायेंगे।





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